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गुरु ग्रह का मिथुन राशि में प्रवेश

📅 तारीख: 14 मई 2025 | 📍 दिन: बुधवार

आज के दिन एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना घटित हो रही है – गुरु (बृहस्पति) ग्रह का गोचर मिथुन राशि में हो रहा है।
यह गोचर रात्रि 10:35 बजे होगा और इसके साथ ही शुभ कार्यों के लिए विशेष पुण्यकाल भी बना हुआ है।

🕉️ पुण्यकाल का समय:

🔸 रात्रि 08:44 बजे से लेकर 12:26 बजे तक
इस समय में गुरु मंत्र जप, दान-पुण्य एवं गुरु पूजन विशेष फलदायी माने जाते हैं।

🔱 क्या करें इस पुण्यकाल में?

ॐ बृहस्पतये नमः या ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः – इन मंत्रों का जाप करें (108 बार या अधिक)
✅ पीले वस्त्र पहनें, पीली मिठाई या फल दान करें
✅ विष्णु या गुरु बृहस्पति की आराधना करें
✅ आंतरिक शुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति के लिए ध्यान करें

गुरु गोचर (मिथुन राशि में):


14 मई 2025, बुधवार, रात 10:35 बजे गुरु मिथुन राशि में प्रवेश करेगा।
पुण्यकाल: रात 8:44 से 12:26 तक।
मीन, वृश्चिक, कर्क, मिथुन, मेष, मकर और कन्या राशि वालों को विशेष सावधानी और उपाय करने चाहिए।
उपाय: जप, दान, पूजा।

मेष राशि

  •  परिणाम: परिश्रम बढ़ेगा, भाइयों से संबंधों में उतार-चढ़ाव
  •  जप: ॐ बृहस्पतये नमः – 108 बार
  •  दान: पीले फल, पुस्तकें
  •  पूजा: विष्णु सहस्रनाम
  •  सावधानी: व्यर्थ के वाद-विवाद से बचें

वृषभ राशि

  •  परिणाम: आर्थिक लाभ, परिवार में सुख
  •  जप: ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः
  •  दान: गाय को हरा चारा, पीतल का बर्तन
  •  पूजा: लक्ष्मी नारायण पूजा
  •  सावधानी: बोलचाल में मिठास रखें

मिथुन राशि

  •  परिणाम: स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव, मानसिक तनाव
  •  जप: ॐ अंगिरसाय नमः
  •  दान: हल्दी, पीली मिठाई
  •  पूजा: बृहस्पति पूजन गुरुवार को
  •  सावधानी: अहम और आत्ममुग्धता से बचें

कर्क राशि

  •  परिणाम: खर्चे बढ़ेंगे, विदेश यात्रा संभव
  •  जप: ॐ बृहस्पतये नमः
  •  दान: जरूरतमंदों को भोजन
  •  पूजा: विष्णु मंदिर में दीपदान
  •  सावधानी: अज्ञात भय या चिंता से लड़ें

सिंह राशि

  •  परिणाम: इच्छाओं की पूर्ति, लाभ
  •  जप: गुरु गायत्री मंत्र
  •  दान: विद्यार्थी को कॉपी-पेन
  •  पूजा: श्रीहरि विष्णु की आराधना
  •  सावधानी: दोस्तों पर अंधा विश्वास न करें

कन्या राशि

  •  परिणाम: कार्यक्षेत्र में दबाव, बदलाव
  •  जप: ॐ वाचस्पतये नमः
  •  दान: पीले वस्त्र, आम
  •  पूजा: पीपल वृक्ष की पूजा
  •  सावधानी: ऑफिस पॉलिटिक्स से दूर रहें

तुला राशि

  •  परिणाम: धर्म, भाग्य और यात्रा का योग
  •  जप: ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
  •  दान: धार्मिक ग्रंथ, पीली दाल
  •  पूजा: गुरु मंदिर में दीपक जलाना
  •  सावधानी: आलस्य न करें

वृश्चिक राशि

  •  परिणाम: गुप्त शत्रु, मानसिक बेचैनी
  •  जप: ॐ गुरवे नमः
  •  दान: मछलियों को आटे की गोलियां
  •  पूजा: नवग्रह शांति हवन
  •  सावधानी: रिस्क न लें, बीमा आदि करवा लें

धनु राशि

  •  परिणाम: वैवाहिक जीवन में तनाव
  •  जप: गुरु बीज मंत्र
  •  दान: हल्दी, पीली मिठाई
  •  पूजा: शिव-पार्वती पूजन
  •  सावधानी: पार्टनर की बात सुनें, नकारात्मकता से दूर रहें

मकर राशि

  •  परिणाम: ऋण, रोग, शत्रु से सावधानी
  •  जप: ॐ बृहस्पति देवाय नमः
  •  दान: अस्पताल में फल वितरण
  •  पूजा: सूर्य और गुरु की संयुक्त पूजा
  •  सावधानी: स्वास्थ्य की अनदेखी न करें

कुम्भ राशि

  •  परिणाम: शिक्षा, संतान, प्रेम में बाधाएँ
  •  जप: विष्णु सहस्रनाम
  •  दान: विद्यार्थियों को पुस्तकें
  •  पूजा: गायत्री मंत्र जाप
  •  सावधानी: निवेश सोच-समझकर करें

मीन राशि

  •  परिणाम: गृहस्थ जीवन में उतार-चढ़ाव
  •  जप: गुरु गायत्री मंत्र
  •  दान: वृद्धाश्रम में भोजन
  •  पूजा: दुर्गा सप्तशती का पाठ
  •  सावधानी: वाहन सावधानी से चलाएँ, माता की सेवा करें
  • पीड़ा निवारण हेतु, पुण्यकाल में जप, ध्वनि (घंटा), और पूजा करना अत्यंत पुण्यकारी होता है।
  •  यदि गुरु ग्रह स्वर्णपाद (गोल्डन फ़ीट) में हों, तो उनके परिणाम शुभ होते हैं — भले ही कुंडली में चिंता हो।
  • गुरु पीड़ा निवारण हेतु दान में दी जाने वाली वस्तुएं हैं: स्वर्ण, कांसे के बर्तन, पुष्कराज रत्न, चने की दाल, घोड़ा, पीली वस्तुएं, पीले वस्त्र, पीले फूल।
  • जप संख्या: 19,000
    • प्रतिमा: स्वर्ण से बनी हुई गुरु की प्रतिमा

गुरु जप मंत्र

देवानां च ऋषीणां च गुरुं काञ्चन सन्निभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्॥

गुरु पूजन व दान का संकल्प मंत्र

मेरी जन्म राशि में स्थित अनिष्ट स्थानों में स्थित गुरु ग्रह की पीड़ा को शांत करने हेतु, एकादश भाव से नव इच्छित फल की प्राप्ति के लिए, मैं गुरु की स्वर्ण प्रतिमा का पूजन कर, उनकी प्रसन्नता हेतु (अमुक) वस्तु का दान करूंगा।

गुरु ध्यान श्लोक

अहो वाचस्पते! जीव सिंधु मंडल से उत्पन्न हुए,
अंगिरा ऋषि के वंशज, घोड़े पर आरूढ़, चार भुजाओं वाले,
दंड, अक्षमाला, वरमुद्रा और कमंडलु धारण किए हुए प्रभु!
महान निद्रा को हरने वाले, सभी देवताओं द्वारा पूज्य गुरु!

दान मंत्र

बृहस्पति को प्रसन्न करने वाला यह दान, पीड़ा का निवारण करने वाला है।
सभी प्रकार की आपत्तियों के विनाश हेतु, मैं श्रेष्ठ ब्राह्मण को यह दान देता हूँ।

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